देहरादून : वन अनुसंधान संस्थान, देहरादून द्वारा विकसित पेरूल से प्राकृतिक रेशा निष्कर्षण की तकनीक की शुरू उत्तराखण्ड
बाँस तथा रेशा विकास बोर्ड, देहरादून को दिनांक 30 मार्च, 2021 को हस्तांतरित की गई। इस अवसर पर
वन अनूसंधान संस्थान की ओर से निदेशक श्री अरूण सिंह रावत तथा उत्तराखण्ड बाँस तथा रेशा विकास
बोर्ड, देहरादून की ओर से श्री मनोज चंद्रन मुख्य कार्यकारी अधिकारी ने लाईसेंस मसौदे पर हस्ताक्षर
किए। इस अवसर पर इस तकनीक के पेरूल एकत्रीकरण, रेशे के निष्कर्षण, कुटीर उघोग से जुडे लोगों
एवं वन आश्रित समुदायों के हित में महत्व की चर्चा की गई। साथ ही इस बात पर भी जो़र दिया गया कि
यह तकनीक इस जैवसंसाधन के उपयोग के साथ साथ पेरूल द्वारा लगने वाली वनाग्नि को रोकने में भी
कारगर सिद्ध होगी। उल्लेखनीय है कि वन अन संधान संस्थान द्वारा इस तकनीक को पेटेन्ट कराने हेतु
आवेदन किया गया है। इस तकनीकी हस्तांतरण के अवसर पर रसायन विज्ञान एवं जैव-पूर्वेक्षण प्रभाग से
डॉ0 विनीत कुमार, वैज्ञानिक-जी एवं परियोजना अन्वेषक, डॉ0 वाई0 सी0 त्रिपाठी, प्रभाग प्रमुख, डॉ0 वी0
के0 वार्ष्णेय, वैज्ञानिक-जी तथा डॉ0 एन0 के0 उप्रेती, समूह समन्वयक अनुसंधान, वन अनुसंधान संस्थान भी
उपस्थित रहे।