देवभूमि जनसंवाद न्यूज़ देहरादून : सोशल मीडिया प्रमोशन में आरक्षण के मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद प्रदेश में अब प्रमोशन का रास्ता साफ हो गया है। उच्च न्यायालय के आदेश के बाद प्रदेश सरकार ने प्रमोशन पर रोक लगा रखी है। सुप्रीम फैसले के बाद अब प्रमोशन पर लगी रोक न सिर्फ हटेगी, बल्कि वरिष्ठता के आधार पर प्रमोशन का मार्ग भी खुल जाएगा। प्रदेश के विभिन्न विभागों में हजारों की संख्या में पदोन्नति के मामले अटके हैं। प्रमोशन पर लगी रोक हटाने के लिए कर्मचारी संगठन भी आंदोलन कर रहे हैं। एक अप्रैल 2019 को ज्ञानचंद बनाम राज्य सरकार व अन्य के मामले में उच्च न्यायालय के आदेश के बाद प्रदेश सरकार ने 11 सितंबर 2019 को प्रदेश के सभी विभागों व निगमों में प्रमोशन और डीपीसी के नतीजों पर रोक लगा दी थी। आदेश जारी होने के बाद सभी विभागों, निगमों और बोर्डों में प्रमोशन पूरी तरह से लटक गए।
इस बीच हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ आरक्षित और सामान्य वर्ग के कर्मचारियों के साथ प्रदेश सरकार भी सर्वोच्च न्यायालय में चली गई। इधर, प्रमोशन पर लगी रोक बढ़ने से कर्मचारियों का दबाव संगठनों पर पड़ने लगा। उत्तराखंड अधिकारी कर्मचारी समन्वय मंच, राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद और उत्तराखंड जनरल ओबीसी इंप्लाइज फेडरेशन ने आंदोलनात्मक तरीकों और मांग पत्रों के जरिये सरकार पर प्रमोशन से रोक हटाने को लेकर दबाव बनाया। उनकी चिंता थी कि प्रमोशन में रोक लगने के चलते कई अधिकारी कर्मचारी बगैर तरक्की सेवानिवृत्त हो रहे हैं।