देवभूमि जनसंवाद देहरादून : कोरोना वायरस की वजह से दुनियां भर में कई उद्योग संकट में हैं। लेकिन सेनेटाइजर मार्केट में इस दौरान जबरदस्त उछाल आ गया है। सेनेटाइजर की भारी मांग को देखते हुए पिछले 10 दिनों में 115 नई कंपनियों को लाइसेंस दिए गए हैं। उत्तराखंड में हर दिन 50 लाख लीटर सेनेटाइजर बन रहा है लेकिन फिर भी डिमांड पूरी नहीं हो पा रही। हालत यह है कि सरकार को आयुर्वेद की 30 कंपनियों को भी सेनेटाइजर बनाने की अनुमति देनी पड़ी है। कोरोना वायरस का प्रकोप शुरू होने से पहले सेनेटाइजर को बहत कम लोग जानते थे। उच्च मध्य वर्ग के ही कुछ लोग दवाई की दुकानों से सेनेटाइजर खरीदते थे। लेकिन कोरोना की दहशत की वजह से सेनेटाइजर हर वर्ग की पहली पसंद बन गया है। लोग बड़ी मात्रा में सेनेटाइजर खरीद रहे हैं और इस वजह से मांग पूरी नहीं हो पा रही है। बाजार के बड़े छोटे- बड़े मेडिकल स्टोरों पर सेनेटाइजर बड़ी मुश्किल से मिल रहे हैं। कई बार तो लोगों को सेनेटाइजर महंगी कीमतों पर भी खरीदने पड़ रहे हैं। बाजार में पैदा हुई सेनेटाइजर की भारी मांग को देखते हुए सरकार ने ज्यादा से ज्यादा फार्मा कंपनियों को सेनेटाइजर का उत्पादन करने को कहा है। कोरोना संकट से पहले राज्य में 60 फार्मा कंपनियों के पास सेनेटाइजर बनाने के लाइसेंस थे। लेकिन वे सीमित मात्रा में ही उत्पादन करते थे। लेकिन पिछले दिन दिनों में ऐलोपैथी और आयुर्वेद की कुल 115 नई कंपनियों को लाइसेंस जारी किए गए हैं। स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ अमिता उप्रेती का कहना है कि सेनेटाइजर से से कहीं पर भी हैंडवाश करना आसान है इसलिए इसकी डिमांड बढ़ रही है। इसको साथ ले जाना भी आसान है ऐसे में लोग इसे ज्यादा पंसद कर रहे। लेकिन उन्होंने कहा कि यदि साबुन से हाथ 20 से 30 सेकेंड तक अच्छे से धोए जाएं तो साबुन से भी वायरस को खत्म किया जा सकता है।
हर दिन 50 लाख लीटर का उत्पादन : राज्य औषधि नियंत्रक ताजबर जग्गी ने बताया कि राज्य में इन दिनों हर दिन 50 लाख लीटर सेनेटाइजर का उत्पादन हो रहा है। लेकिन डिमांड इतनी है कि वह भी कम पड़ रहा। उन्होंने कहा कि पहले ऐलोपैथी की 60 फार्मा कंपनियां सेनेटाइजर बनाती थी। अब इनकी संख्या बढ़ाकर 145 कर दी गई है। कंपनियों को लगातार उत्पादन बढ़ाने को कहा जा रहा है। मार्केट में कालाबाजारी न हो इसके लिए रेट भी तय किए गए हैं और विभाग की टीम लगातार निगरानी कर रही है।
आयुर्वेदिक सेनेटाइजर में एल्कोहल की इजाजत
सरकार ने आयुर्वेद की 30 कंपनियों को भी सेनेटाइजर बनाने की इजाजत दी है। आयुर्वेद विभाग के ड्रग कंट्रोलर वाईएस रावत ने बताया कि सेनेटाइजर की मांग को पूरा करे के लिए यह कदम उठाया गया है। उन्होंने बताया कि आयुर्वेदिक कंपनियां भी सेनेटाइजर बनाने के लिए आईसो प्रोफाइल एल्कोहल (आईपीए) का उपयोग कर सकेंगी। उन्होंने बताया कि हरिद्वार, देहरादून, यूएस नगर और कोटद्वार की 30 कंपनियों को लाइसेंस दिए गए हैं। इसमें एल्कोहल की मात्रा मानकों के तहत रखने को कहा गया है।
पहले महीने में 10 आते थे अब 200
दून अस्पताल के ठीक सामने मेडिकल स्टोर संचालित करने वाले एम एस मेडिकोज के मालिक गौरव भार्गव ने बताया कि सेनेटाइजर की डिमांड में इस दिनों जबरदस्त उछाल आया है। पहले उनके पास महीने में 10 लोग ही सेनेटाइजर खरीदने के लिए आते थे। आजकल दिन में 200 लोग पहुंच रहे हैं और वो भी पांच से दस सेनेटाइजर इक्कट्टे ले जा रहे हैं।