अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा उत्तराखंड क्रांति दल

देहरादून। उत्तराखंड बनाने के लिए संघर्ष करने वाली उत्तराखंड क्रांति दल अब अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है। गौर हो कि उत्तराखंड क्रांति दल ने ही उत्तराखंड राज्य की स्थापना की मांग की थी। प्रदेश में अपनी राजनीतिक जमीन तलाश रही। यूकेडी ने ही 1994 में उत्तराखंड को उत्तर प्रदेश से अलग करने की मांग उठाई थी। उत्तराखंड में यूकेडी का राजनीतिक अस्तित्व अब पीछे सरकता जा रहा है। दल ने 2002 में पहले विधानसभा चुनावों में 4 सीटों पर जीत हासिल की थी, तो 2007 में पार्टी 3 सीटों पर सिमट कर रह गई थी। 2012 के विधानसभा चुनाव में यूकेडी को महज एक सीट मिली। अब आगामी 2022 के विधानसभा चुनाव में क्षेत्रीय दल यूकेडी ने सभी सीटों पर चुनाव लड़ने का फैसला किया है। इसके लिए नव नियुक्त साथियों को यूकेडी के इतिहास और संविधान के बारे में बताया जा रहा है।
महानगर इकाइयों का विस्तार करते हुए यूकेडी ने 100 वार्डों में महानगर महामंत्रियों के दायित्व भी बांट दिये हैं। इसमें 5 महामंत्री ईकाई में हैं और एक महामंत्री कार्यालय का कार्य संपादित करेंगे। कार्यालय का प्रभार महानगर महामंत्री नवीन भदूला को दिया गया है। अन्य महामंत्रियों को 25-25 वार्ड सौंपे गए हैं। 2022 के विधानसभा चुनावों को देखते हुए यूकेडी संगठन को मजबूत करते हुए दल का प्रचार प्रसार करने में लगी हुई है। उत्तराखंड क्रांति दल ने महानगर में एक शिकायत प्रकोष्ठ भी खोला है। इसमें आमजन अपनी समस्याओं को लेकर महानगर अध्यक्ष और महानगर महामंत्री से संपर्क कर सकते हैं। वहीं यूकेडी की तैयारियों को लेकर दल के संरक्षक और पूर्व केंद्रीय अध्यक्ष त्रिवेंद्र पंवार का कहना है कि इन 20 सालों में उत्तराखंड की जनता अपने आप को ठगा सा महसूस कर रही है। अब प्रदेश की जनता भाजपा और कांग्रेस को नहीं चुनेगी, जिन्होंने इस प्रदेश को लूटा है। त्रिवेंद्र पंवार के मुताबिक अपने राज्य वापस लौटे नौजवान प्रवासी यूकेडी से प्रभावित होकर दल में शामिल हो रहे हैं। उन्होंने बताया कि यूकेडी अगर सत्ता में आती है, तो भ्रष्टाचार में लिप्त लोगों को जेल की हवा खिलाएगी। उनका कहना है कि यह छोटा राज्य और यहां के शहीदों ने इस राज्य को पाने के लिए अपनी कुर्बानियां दी हैं। इबता दें कि जल, जंगल, जमीन की बात करने वाली यूकेडी अपने राजनीतिक अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है। यूकेडी प्रदेश में शराब के बढ़ते प्रचलन से भी नाराज है। दल शराब को प्रतिबंधित किए जाने की भी मांग करता रहा है। इसके साथ ही गैरसैंण को स्थाई राजधानी बनाने के लिए भी दल संघर्षरत है। रोजगार, पर्यटन को लेकर भी यूकेडी सरकार पर निशाना साधती आ रही है। उत्तराखंड क्रांति दल का मानना है कि भाजपा और कांग्रेस के शासनकाल में 20 वर्ष बाद भी राज्य के लोग पीने का पानी, सड़क, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं। इसलिए भ्रष्टाचार में लिप्त कोई मंत्री, विधायक हो या अधिकारी, यूकेडी उन्हें जेल की सलाखों के पीछे डालेगी।

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