रुड़की। सीएसआईआर-केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान, रुड़की ने 5वें भारतीय अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव (आईआईएसएफ-2019) के एक पूर्ववर्ती आयोजन के रूप में स्कूली बच्चों, कॉलेज के विद्यार्थियों, शिक्षकों, उद्योग कर्मियों, मीडिया और जनता के लिए एक जन संपर्क कार्यक्रम का आयोजन किया। सीएसआईआर के महानिदेशक व डीएसआईआर के सचिव, डॉ शेखर सी मांडे ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की। दीप प्रज्वलन के साथ कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ। सभा को संबोधित करते हुए,डॉ एस सी मांडे, महानिदेशक सीएसआईआर ने राष्ट्र के सबसे बड़े विज्ञान मैराथन में से एक- भारतीय अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव- के मर्म तथा विज्ञान, समाज और राष्ट्र के समग्र विकास हेतु सभी स्तरों और क्षेत्रों से विद्यार्थियों, शोधकर्ताओं, नवप्रवर्तकों और जनता को एक साथ एक मंच पर लाने में इसकी सफलता का वर्णन किया। विद्यार्थियों और युवा शोधकर्ताओं के साथ बातचीत करते हुए, डॉ मांडे ने उन्हें भारतीय वैज्ञानिकों के अविश्वसनीय जीवन वर्णन और कार्यों से प्रेरित किया तथा सर सी.वी. रमन, सत्येन्द्र नाथ बोस, श्रीनिवास रामानुजम, मेघनाद साहा, प्रसन्न चंद्र महालनोबिस, सी.आर. राओ और जे.आर.डी. टाटा आदि के प्रमुख वैज्ञानिक योगदानों पर चर्चा की। उन्होंने स्थानीय, राष्ट्रीय और वैश्विक समस्याओं के अभिनव और अनूठे समाधान ढूंढने के लिए विद्यार्थियों को प्रेरित किया। प्रकाश की संरचना, बोसॉन, इलेक्ट्रो-मैग्नेटिक इंडक्शन, रमन स्कैटरिंग, ब्लैक होल का गठन, गणितीय विश्लेषण और आधुनिक युग में वैदिक विज्ञान के अनुप्रयोग आदि विभिन्न विषयों पर चर्चा की गईं। डॉ शेखर मांडे ने विद्यार्थियों को कोलकाता में 05-08 नवंबर, 2019 के दौरान ष्त्प्ैम्छ इंडिया – रिसर्च, इनोवेशन, एंड साइंस एम्पोवेरिंग द नेशनष् विषय पर आयोजित होने वाले आईआईएसएफ 2019 में प्रतिभागिता करने के लिए प्रोत्साहित किया और बताया कि इस विज्ञान महोत्सव में विभिन्न विज्ञान और पुस्तक प्रदर्शनियों में चार्ट, उत्पाद, जीवंत प्रदर्शन और प्रकाशनों के माध्यम से भारत की वैज्ञानिक और तकनीकी कौशल और नए युग की तकनीकियों को प्रदर्शित किया जाएगा।डॉ एन गोपालकृष्णन, निदेशक, सीएसआईआर-सीबीआरआई, रुड़की ने अपने स्वागत सम्बोधन में कहा कि सीएसआईआर परिवार के प्रमुख की उपस्थिति ने सभा को सम्मानित, विनम्र और प्रेरित किया है। उन्होंने संस्थान द्वारा विकसित अनुसंधान एवं विकास गतिविधियों और तकनीकियों के बारे में अवगत कराया और कहा कि समग्र रूप से समाज और राष्ट्र के विकास के लिए “तटस्थ विज्ञान“ को विकसित करने पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। उन्होंने युवा प्रतिभागियों से खुले मन और उत्साह के साथ “विज्ञान के शहर-कोलकाता“ में आईआईएसएफ-2019 की गतिविधियों में भाग लेने का आग्रह किया। डॉ महेश भट्ट, अध्यक्ष, विभा, देहरादून क्षेत्र, उत्तराखंड ने विभा- विजना भारती- के इतिहास और विकास के बारे में सभा को जानकारी दी और “लोगों द्वारा विज्ञान और लोगों के लिए विज्ञान“- के मूल सिद्धांत को प्रोत्साहन प्रदान करने में विभा के योगदानो का वर्णन किया। उन्होंने कहा कि विभा समाज को विज्ञान से जोड़ने के लिए निरंतर प्रयासरत है।डॉ अतुल कुमार अग्रवाल, वरिष्ठ प्रधान वैज्ञानिक और नोडल अधिकारी आईआईएसएफ-2019, सीएसआईआर-सीबीआरआई, रुड़की ने विद्यार्थियों को वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाने तथा प्रश्नो और मंथन करने के लिए प्रोत्साहित किया क्योंकि जीवन के प्रति यह जिज्ञासु दृष्टिकोण नवोन्मेषों का प्रेरक बनता है। उन्होंने सीएसआईआर-सीबीआरआई, रुड़की द्वारा आयोजित विभिन्न विद्यार्थी-वैज्ञानिक संयोजन कार्यक्रमों के बारे में भी जानकारी दी, जिसके अंतर्गत अनुसंधान-आधारित शिक्षा और वैज्ञानिक चेतना द्वारा विद्यार्थियों को फिर से विज्ञान, तकनीकी, अभियांत्रिकी और गणित के साथ जोड़ा जा रहा है तथा अंधविश्वासों से मुक्त एक वैज्ञानिक-बौद्धिक समाज का विकास करने का भी प्रयास किया जा रहा है। डॉ सुवीर सिंह, मुख्य वैज्ञानिक, सीएसआईआर-सीबीआरआई, रुड़की ने कार्यक्रम का संचालन किया तथा डॉ. हरपाल सिंह, मुख्य वैज्ञानिक, सीएसआईआर-सीबीआरआई, रुड़की ने धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया। इससे पूर्व, गणमान्य अतिथियों और प्रतिभागियों ने म्यूजियम हॉल में सीएसआईआर-सीबीआरआई प्रौद्योगिकी प्रदर्शनी का दौरा किया और मॉडल, प्रदर्शन और तकनीकी चार्ट के माध्यम से प्रदर्शित संस्थान की तकनीकियों का अवलोकन किया। सीएसआईआर, सीबीआरआई, आईआईएसएफ और विभा के वैज्ञानिक नवाचारों और सफलता की कहानियों को प्रदर्शित करती विज्ञान फिल्मों को भी प्रस्तुत किया गया। प्रतिभागियों ने संस्थान के वैज्ञानिकों के साथ परस्पर संवाद कर अपने संशयों को दूर किया। इस अवसर पर एस.के. नेगी, डॉ एल.पी. सिंह, डॉ अजय चैरसिया, आर.एस. चिमोटे, डॉ अतुल कुमार अग्रवाल आदि उपस्थित रहे। कार्यक्रम में रुड़की के विभिन्न स्कूलों और कॉलेजों के लगभग 150 छात्रों ने भाग लिया।