देहरादून। जेडी इंस्टीट्यूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी की कार्यकारी निदेशक रूपल दलाल का कहना है कि समय के साथ टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में काफी प्रगति हुई है। हर रोज लोगों और वैज्ञानिकों के द्वारा इंटरनेट के माध्यम से नए इनोवेशन्स का हम सब के बीच शेयर किया जाता है। फैशन इंडस्ट्री भी अपनी विनिर्माण और पोस्ट-प्रोडक्शन के लिए टेक्नॉलजी का इस्तेमाल कर रही है। ऐसी ही एक लेटेस्ट तकनीक के बारे में हम बताने जा रहें जो फैशन इंडस्ट्री में लोगों के बीच रूचि का विषय बना हुआ है। डिजिटल फैशन आदर्श रूप से फैशन और सूचना प्रौद्योगिकी का एक रूप है। लेकिन कार्बन फुटप्रिंट की स्थिरता और हाल की आवश्यकता ने डिजिटल रूप से उत्पन्न कपड़ों की अवधारणा को जन्म दिया है। फैशन और तकनीक के बीच का अंतर केवल डिजाइन तक सीमित नहीं है, बल्कि डिजाइन के बाद उत्पादन और ग्राहकों के जरूरत अनुसार उनमें बदलाव किया जाता है, जो लेटेस्ट ट्रेंड्स वाले एन्वॉयरमेंटल फ्रेंडली कपड़े चाहते हैं। ऑनलाइन प्लेटफार्म पर मिलने वाले लिस्ट किए गए डिजिटल कपड़े ऐसे हैं, जो असल जिंदगी में आपको शायद ही देखने को मिलेंगे,मगर फिर भी आप उसे खरीद कर उसका इस्तेमाल कर सकेंगे। जब सीजीआई द्वारा जेनरेट कर पहली डिजिटल इन्फ्लुएंसर डपुनमसं को लॉन्च किया गया था, तब लोगों ने इस आईडिया का मजाक उड़ाया और इसे बेकार बताया था, लेकिन इंस्टाग्राम पर एक मिलियन से अधिक फॉलोअर्स के जुड़ने के बाद, लोगों ने यह समझा की यह दुनिया पंरपरागत तरीकों से हटकर टेक्नोलॉजी को गले लगाने के लिए तैयार है। इस डिजिटल फैशन के दुनिया में कूदने वाला पहला डिजाइन हाउस बाल्मेन था, जिसने ब्रिटिश फोटोग्राफर कैमरन-जेम्स विल्सन द्वारा अपने अभियान के लिए बनाए गए तीन सीजीआई जनरेटेड रोबोट्स मार्गोट, जॉर्ज और शुडू को कास्ट किया। शूडू की कास्टिंग ने विवाद पैदा किया था लेकिन फैशन से जुड़े लोगों ने अपना ध्यान फैशन और तकनीक के बीच कम होती दूरीयों पर लगाया, विशेष रूप से लग्जरी फैशन पर। यह न केवल रोबोट और सीजीआई के माध्यम से लाई गई डिजिटल फैशन क्रांति है , बल्कि लोगों द्वारा सोशल मीडिया जैसे इंस्टाग्राम पर अपने नए फोटो अपलोड करने की चाहत भी डिजिटल फैशन को बढ़ावा दे रहा है। हर समय अगर लोग नए ट्रेंड्स के मुताबिक कपड़े लेने लेगे तो कपड़ो की खपत बढ़ जाएगी, इसी समस्या से निपटने के लिए डिजिटल कपड़ों को पेश किया गया है। पिछले साल स्कैंडिनेवियाई ब्रांड डार्लिंग्स ने एक कलेक्शन लॉन्च किया था, जो एक डिस्क्लेमर के साथ आया था, ष्आपको ये कलेक्शन फिजिकल रूप से नहीं मिलेगाष्,। इस डिस्क्लेमर को पढ़कर ग्राहक दुविधा में आ गए थे, लेकिन ये अभियान डिजिटल फैशन को बढ़ावा देने के लिए चलाया गया था, ताकी लोग कपड़ों के अधिक इस्तेमाल न करते हुए भी डिजिटली नए ट्रेंड के साथ जुडें रहें। सोशल मीडिया के आने के कारण लोगों में फैशन के प्रति लोगों की रूचि बढ़ गई है। आज फैशन सिर्फ कुछ लोगों तक सीमित रहने के बजाये लोगों के अभिव्यक्ति का रूप बन गया है।
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