देहरादून। जिलाधिकारी सी रविशंकर की अध्यक्षता में जनपद के विभिन्न विभागीय अधिकारियों के साथ ‘जल शक्ति अभियान’ की कलेक्टेªट सभागार में बैठक आयोजित की गयी। बैठक में जिला विकास अधिकारी प्रदीप पाण्डेय ने ‘जल शक्ति अभियान’ के अन्तर्गत जल के संचय संरक्षण एवं उसके संवर्धन से सम्बन्धित उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए प्रेजेन्टेशन के माध्यम से विस्तारपूर्वक अवगत कराया। उन्होंने कहा कि पूरे भारत में चलने वाले इस अभियान को प्रथम चरण 1 जुलाई से 15 सितम्बर 2019 तक एवं द्वितीय चरण 1 अक्टूबर से 30 नवम्बर 2019 तक सम्पादित किया जायेगा तथा इस अवधि के भीतर ग्राम पंचायतों, स्वयं सहायता समूह जनभागीदारी के माध्यम से जल संरक्षण के अन्तर्गत विभिन्न प्रकार की गतिविधियां सम्पादित की जायेगी। जिलाधिकारी सी रविशंकर ने उपस्थित सभी अधिकारियों को ब्रीफ करते हुए कहा कि सभी को यह समझना होगा कि बहुत से विभाग अपने-अपने स्तर पर पहले से ही जल संरक्षण के अनेक कार्य करते आ रहे हैं, फिर भी ऐसा क्यों है कि इस अभियान को चलाने की आवश्यकता पड़ी। उन्होंने कहा कि सभी को समझना चाहिए कि आने वाले समय में जल संकट दुनिया में विकरालरूप धारण करते जा रहा है, इसी को देखते हुए मा0 प्रधानमंत्री ने विभिन्न तरीकों से जल के संरक्षण पर जोर देने के निर्देश दिये इसी के तहत् जल संस्थान, पेयजल निगम, कृषि, वन विभाग, ग्राम्य विकास, आपदा प्रबन्धन, शिक्षा, उद्यान, सिंचाई, लघु सिंचाई, पंचायतीराज, शहरी विकास जैसे रेखीय विभागों के साथ ही स्वयं सहायता समूहों और व्यापक जन भागीदारी से आपसी समन्वय व एकीकृत प्रयासों के माध्यम से परम्परागत स्त्रोंत के पुनर्जीवन, अपशिष्ट जल के पुनः उपयोग, प्रति बूंद अधिक उपयोग, भूजल पुनर्भरण, वर्षा जल संग्रहण व भण्डारण, जल के सदुपयोग इत्यादि के साथ ही व्यापक वृक्षारोपण, वैज्ञानिक तरीकों व तकनीक से जल संरक्षण के प्रयासों को धरातल पर उतारने की बात कही है। उन्होंने सभी विभागीय अधिकारियों को जल संरक्षण अभियान की महत्वता को समझते हुए इस कार्य को केवल चर्चा, प्रजेन्टेशन और विचार विमर्श तक सीमित न रखकर वास्तविक रूप से जनभागीदारी के माध्यम से धरातल पर उतारने के निर्देश। उन्होंने यह भी चेताया कि जल संरक्षण का कार्य वैज्ञानिक तरीके से हो और अवैज्ञानिक और अनावश्यक रूप से प्राकृतिक जल स्त्रोंत से छेड़छाड़ भी ना हो। जिलाधिकारी ने सभी विभागों को जल संरक्षण की समेकित कार्ययोजना बनाकर उस पर गंभीरता से कार्य करने के निर्देश देते हुए कहा कि जल शक्ति अभियान की बारीकी से माॅनिटिरिंग की जायेगी और इस अभियान में किसी भी प्रकार की लापरवाही न बरतने की बात कही। उन्होंने कहा कि सभी लाइन डिपार्टमेन्ट योजना की वित्तीय फण्डिंग सहित कार्ययोजना को प्रस्तुत करें और यदि फण्डिंग की किसी भी तरह से कमी महसूस होगी तो नाबार्ड, आपदा प्रबन्धन इत्यादि के माध्यम से व्यवस्था की जायेगी। इस कार्य में फण्ड की कोई कमी नही होने दी जायेगी परन्तु हरहाल में ‘जल संरक्षण’ के प्रयास जमीनी स्तर के हों और परिणाम अवश्य निकले। मुख्य विकास अधिकारी जी.एस रावत ने इस दौरान कहा कि यह सभी विभागों का समेकित कार्य है और इसमें व्यक्तिगत जिम्मेदारी समझते हुए प्रयास करें। उन्होंने अभियान के बारें में प्रत्येक व्यक्ति को जागरूक करते हुए सभी को इसमें भागीदार बनाने की बात कही। अधिशासी अभियन्ता जल संस्थान नमित रमोला, ने अपना सुझाव देते हुए कहा कि मैदानी क्षेत्रों में बड़ी मात्रा में लोगों द्वारा व्यक्तिगत रूप से बोरिंग की जाती रही है, इस पर कड़ी निगरानी व नियंत्रण पर बल दिया। बैठक में प्रभारी वनाधिकारी राजीव धीमान, परियोजना प्रबन्धक डीआरडीए विक्रम सिंह, मुख्य शिक्षा अधिकारी आशा पैन्यूली सहित खण्ड शिक्षा अधिकारी व सम्बन्धित विभागों के अधिकारी एवं कार्मिक उपस्थित थे।