जौनपुर के ऐतिहासिक मौण मेले का आयोजन आज

मसूरी। जौनपुर क्षेत्र के ऐतिहासिक मौण मेले का आयोजन आज अगलाड़ नदी तट पर होगा। मेले की तैयारियां कर ली गई हैं। अगलाड़ नदी तट पर आयोजित होने वाले ऐतिहासिक मौण मेले के लिए औषधीय पौधे टिमरू का पाउडर बनाने का प्रावधान है। इस बार टिमरू का पाउडर तैयार करने की जिम्मेदारी खिलवाड़ खत की उप पट्टी अठज्यूला के आठ गांवों कांडी मल्ली व तल्ली, सड़ब मल्ली व तल्ली, बेल परोगी तथा मेलगढ़ को दी गई है। इन गांवों में पिछले 10 दिनों से टिमरू का पाउडर बनाने की प्रक्रिया चल रही थी। आज जौनपुर के कई गांवों के ग्रामीणों की मौजूदगी में पाउडर अगलाड़ नदी के मौणकोट नामक स्थान पर अगलाड़ नदी में डाला जाएगा। इस पर्व में जौनपुर के ग्रामीण के अलावा विकासनगर मसूरी और रवाई घाटी के हजारों की तादाद में ग्रामीण मछली पकड़ने के लिए पहुंचते हैं।

मौण मेला का महत्व
इस ऐतिहासिक मेले की शुरुआत 1866 में तत्कालीन टिहरी नरेश ने की थी। तब से जौनपुर में निरंतर इस मेले का आयोजन किया जाता है। क्षेत्र के बुजुर्गों का कहना है कि इसमें टिहरी नरेश स्वयं अपने लाव लश्कर एवं रानियों के साथ मौजूद रहते थे मौण, टिमरू के तने की छाल को सुखाकर तैयार किए गए महीन चूर्ण को कहते हैं। टिमरू का उपयोग दांतों की सफाई के अलावा कई अन्य औषधियों में किया जाता है। अगलाड़ नदी के पानी से खेतों की सिंचाई भी होती है। मछली मारने के लिए नदी में डाला गया टिमरू का पाउडर पानी के साथ खेतों में पहुंचकर चूहों और अन्य कीटों से फसलों की रक्षा करता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *