रुद्रप्रयाग। सचिव पर्यटन एवं संस्कृति दिलीप जावलकर ने केदारनाथ धाम पहुंचकर व्यवस्थाओं का जायजा लिया। उन्होंने धाम में चल रहे पुनर्निर्माण कार्यो का निरीक्षण किया और तीर्थ पुरोहितों से भी मुलाकात की। देवस्थानम बोर्ड की ओर से गर्भगृह के दर्शनों में रोक के बावजूद भी पर्यटन सचिव केदारनाथ मंदिर के भीतर गए और पूजा-अर्चना की। ऐसे में राज्य के विभिन्न जिलों से आये श्रद्धालुओं ने आक्रोश जताया और इसे पक्षपाक्ष बताया।
रविवार को सचिव पर्यटन एवं संस्कृति दिलीप जावलकर गौरीकुण्ड से पैदल चलकर केदारनाथ धाम पहुंचे। इस दौरान उनके साथ जिला पर्यटन अधिकारी सुशील नौटियाल भी मौजूद थे। पर्यटन सचिव ने गौरीकुण्ड से केदारनाथ धाम तक यात्रा व्यवस्थाओं का जायजा लिया। धाम पहुंचने पर उन्होंने शंकराचार्य समाधि स्थल, तीर्थ पुरोहित भवन, घाट निर्माण कार्य का निरीक्षण किया। उन्होंने वुड स्टोन कंपनी को निर्माण कार्यो में तेजी लाने के निर्देश दिए। धाम पहुंचने पर तीर्थ पुरोहितों ने पर्यटन सचिव से मुलाकात की और उन्हें समस्याओं से रूबरू करवाया। केदारसभा अध्यक्ष विनोद शुक्ला ने कहा कि तीर्थ पुरोहितों के होटल, ढाबा बंद होने से यात्रियों को सुविधा नहीं मिल पा रही है। केदारनाथ धाम में सुविधाएं न होने से यात्री परेशान हैं। इसके साथ ही देवस्थानम् बोर्ड के खिलाफ तीर्थ पुरोहितों का धरना डेढ़ माह से जारी है, जिस पर सरकार कोई ध्यान नहीं दे रही है। उन्होंने पर्यटन सचिव से समस्याओं के समाधान की मांग की। इससे पहले पर्यटन सचिव ने केदारनाथ मंदिर के गर्भगृह के दर्शन कर पूजा-अर्चना की। जिससे राज्य के अलग-अलग जिलो से धाम पहुंचे तीर्थ यात्रियों में आक्रोश बढ़ गया। यात्रा पर आए गढ़वाल विश्व विद्यालय श्रीनगर के छात्र नेता दिव्यांशु बहुगुणा, पुष्पेन्द्र पंवार, आयुष मियां ने कहा कि पर्यटन सचिव दिलीप जावलकर केदारनाथ धाम पहुंचे और उन्होंने मंदिर के भीतर जाकर गर्भगृह के दर्शन किए, जबकि उत्तराखंड सरकार द्वारा मंदिर के भीतर के दर्शनों पर रोक लगाई गई है। उन्होंने कहा कि प्रदेश के दूरस्थ इलाकों से भक्त बाबा के दरबार में पहुंच रहे हैं और उन्हें दर्शन करने की अनुमति नहीं है और पर्यटन सचिव सीधा आकर मंदिर के भीतर जाकर दर्शन कर रहे हैं। आम जनता और अधिकारियों के बीच इस प्रकार का पक्षपात क्यों किया जा रहा है।
