देहरादून। प्रदेश के शिक्षा मंत्री अरविन्द पाण्डेय ने विधानसभा सभाकक्ष में विद्यालय का शैक्षणिक माहौल सुधारने विषय पर बैठक ली। उन्होंने कहा कि अध्यापक और छात्र के अनुपात को तार्किक करने के लिए सभी ब्लाॅकों के आंकड़े लिए जाएं। प्रतिनियुक्ति और डायट में कार्यरत अध्यापकों को मूल पद पर भेजा जायेगा। शिक्षा मंत्री ने कहा राष्ट्रीय शिक्षा नीति में उत्तराखण्ड अपनी विशेष भौगोलिक परिस्थितियों के सन्दर्भ में सुझाव देगी। यह सुझाव हिमालयी राज्य के सन्दर्भ में होगी। उन्होंने कहा प्रदेश के 13 नवोदय विद्यालयों को माॅडल विद्यालय के रूप में विकसित किया जायेगा, इस सन्दर्भ में 7 अगस्त को बैठक होगी। बैठक में राष्ट्रीय शिक्षा नीति में उत्तराखण्ड राज्य के सुझाव में छात्रों की क्षमता के विकास पर बल देते हुए कहा गया कि छात्रों के मानसिक एवं भौतिक विकास पर ध्यान दिया जाए। व्यवसायिक शिक्षा पर बल देते हुए सुझाव दिया गया कि स्थानीय स्तर पर शिल्प काश्तकारों को व्यवसायिक शिक्षा के लिए मानदेय पर आमंत्रित किया जाए। नैतिक शिक्षा, ज्ञान-योग पर बल देते हुए स्थानीय प्रेरक प्रसंगों पर भी फोकस रखा जाय। सुझाव के अन्तर्गत कहा गया कि 5 किलोमीटर के भीतर स्कूल काम्प्लैक्स हो जिसमें प्राथमिक, माध्यमिक एवं आई.टी.आई. विद्यालय हों। स्कूल कैम्पस में प्रिंसिपल एवं अध्यापक के आवास का भी प्रबन्ध होगा। पब्लिक शब्द का प्रयोग प्राइवेट स्कूल नहीं कर सकेंगे। छात्रों के लिए यूनिक आई.डी. जारी करने पर भी बल दिया गया। बैठक में सचिव विद्यालयी शिक्षा रंजीत सिन्हा, निदेशक शिक्षा आर.के.कुंवर, निदेशक एस.सी.ए.आर.टी. सीमा जौनसारी, अपर निदेशक सीमैट शशि चैधरी, अपर निदेशक एस.सी.ई.आर.टी. अजय कुमार नौटियाल, अपर निदेशक बन्दना गब्र्याल, रामकृष्ण उनियाल एवं वी.एस.रावत, संयुक्त निदेशक एस.सी.ई.आर.टी. कुलदीप गैरोला और प्रदीप रावत, संयुक्त निदेशक भूपेन्द्र ंिसह नेगी आदि अधिकारी मौजूद थे।