उत्तरकाशी। आशा कार्यकर्ताओं की तरफ से दाखिल जन्मलिंगानुपात की तिमाही रिपोर्ट ने अफसरों की नींद उड़ा दी है। आशंका जताई जा रही है जिले में गुपचुप भ्रूणलिंग परीक्षण करने वाला गिरोह सक्रिय है। हालांकि आधिकारिक तौर पर इस पर अभी कोई साफ-साफ कुछ नहीं बोल रहा है, लेकिन जो तस्वीर सामने आई है, दबी जुबान में यही चर्चा सुनाई पड़ रही है। जिलाधिकारी डा. आशीष चौहान भी इन आशंकाओं को खारिज नहीं कर रहे हैं। उन्होंने रेड जोन में शामिल किए 147 गांवों को लेकर जो जांच बैठाई है, उसमें भ्रूण लिंग परीक्षण की आशंका को प्रमुख बिंदु के तौर पर शामिल किया गया है। प्रत्येक गांव में जांच के लिए अलग-अलग अधिकारी की नियुक्ति की गई है। इधर, शुक्रवार को इस प्रकरण की गूंज शुक्रवार को सीमांत जिले उत्तरकाशी से राजधानी तक सुनाई दी। सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भी इस पर विस्तृत रिपोर्ट तलब की है। सीमांत जनपद उत्तरकाशी में 2011 की जनगणना के अनुसार लिंगानुपात 1000 पुरुष की तुलना में 963 महिलाएं हैं। यह अनुपात राष्ट्रीय ङ्क्षलगानुपात के लिहाज से संतोषजनक है। लेकिन, 1 अप्रैल 2019 से लेकर 30 जून 2019 तक की घरों पर और अस्पताल में हुए प्रसव को लेकर स्वास्थ्य विभाग की आशा कार्यकर्ताओं की रिपोर्ट ने प्रशासन और स्वास्थ्य महकमे को हैरत में डाल दिया है। इन तीन महीनों के अंतराल में जिले के 133 गांवों में एक भी बालिका ने जन्म नहीं लिया, जबकि इनमें 216 बच्चों ने जन्म लिया, ये सभी बेटे हैं। जबकि 14 ऐसे भी गांव हैं जहां बालिका जन्म अनुपात 25 फीसद से कम है। इन समेत 147 गांवों को रेड जोन में शामिल किया गया है। जिलाधिकारी डॉ. आशीष चौहान के अुनसार भटवाड़ी, डुंडा और चिन्यालीसौड़ ब्लाक की स्थिति ज्यादा भयावह है। यहां साल की शुरुआत की तिमाही यानी जनवरी 2019 से लेकर मार्च तक की रिपोर्ट में भी जन्मलिंगानुपात की स्थिति अच्छी नहीं थी। लेकिन, पिछली तिमाही की रिपोर्ट ज्यादा हैरान करने वाली हैं। बताते हैं कि यह उनके लिए जांच के साथ ही शोध का विषय बन गई है। किसी गांव में महिला के गर्भधारण होने पर वहां की आशा कार्यकर्ता की जिम्मेदारी है कि वह एएनएम के पास उसका पंजीकरण कराए। रिप्रोडेटिब चाइल्ड हेल्थ पोर्टल पंजीकरण के वक्त गर्भधारण का माह व अन्य उल्लेख भी करना होता है। इसके जरिये मदर चाइल्ड ट्रैकिंग भी तैयार किया जाता है। जिसमें जच्चे-बच्चे की स्थिति की स्थिति का उल्लेख होता है।
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