देहरादून। मैक्स हॉस्पिटल देहरादून में पल्मोनोलॉजिस्ट ने क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया। इसमें फेफड़ों से जुड़ी समस्याओं के बारे में विभिन्न तथ्यों और मिथकों को साझा किया गया। विषाक्त कणों, धूम्रपान और प्रदूषण के कारण सीओपीडी तेजी से बढ़ता श्वसन रोग है। पल्मोनोलॉजी विभाग के एसोसिएट डायरेक्टर डॉ. पुनीत त्यागी के अनुसार, “बहुत-से लोग सांस की तकलीफ बढ़ने और खांसी को उम्र बढ़ने का सामान्य हिस्सा मानते हैं। हो सकता है कि रोग के प्रारंभिक चरण में कोई भी लक्षण न दिखें। वर्षों तक सांस की कमी के बिना भी सीओपीडीविकसित हो सकता है। लोगों को अक्सर अधिक विकसित चरणों में लक्षण दिखते हैं। सीओपीडी फेफड़ों की बीमारी का एक प्रगतिशील रूप है, जो हल्के से लेकर गंभीर स्तर तक हो सकता है। सीओपीडी में फेफड़ों में हवा का आना-जाना बंद होने लगता है और सांस लेना मुश्किल हो जाता है। इसका पता स्पईरोमेट्री द्वारा लगाया जाता है जो की मैक्स अस्पताल में उपलब्ध है।” मैक्स हास्पिटल में आयोजित पत्रकार वार्ता के दौरान पल्मोनोलॉजी विभाग के एसोसिएट डायरेक्टर डॉ. पुनीत त्यागी ने कहा कि अक्सर धूम्रपान के इतिहास वाले 40 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों में सीओपीडी देखा जाता है। यह उन लोगों को भी हो सकता है, जिनके कार्यस्थल पर रसायन, धूल, या धुएं और कार्बनिक रसोई ऊंधन जैसे हानिकारक पदार्थों से लंबे समय तक संपर्क रहा हो। भारत में विशेष रूप से पहाड़ी क्षेत्र में लोग लकड़ी के कोयले या जलाऊ लकड़ी से खाना बनाते हैं, जो महिलाओं के फेफड़ों में जहरीला धुआं भरता है और गैर-धूम्रपान करने वाले सीओपीडी का प्रमुख कारण बनता है। मौसम में बदलाव के साथ सीओपीडी पीड़ितों में बीमारी की आशंका बढ़ जाती है। सीओपीडी की वजह से ठंड के मौसम में फेफड़ों पर खतरनाक प्रभाव पड़ सकता है और श्वसन प्रणाली में परिवर्तन के कारण उन्हें सेकंडरी बैक्टीरिया ध् वायरल ध् फंगल संक्रमण के लिए जाना जाता है। सीओपीडी का कोई इलाज नहीं है लेकिन उचित चिकित्सा उपचार उपलब्ध हैं जो अधिक क्षति को रोकने और जीवन की गुणवत्ता में सुधार करने में मदद कर सकते हैं। दवाओं, ऑक्सीजन थेरेपी या पल्मोनरी रीहैबिलिटेशन के साथ-साथ पीड़ितों को जीवनशैली में बदलाव करना चाहिए। इस साल वर्ल्ड सीओपीडी डे की थीम है ‘आल टूगेदर टू एण्ड सीओपीडी’ , इसलिए हम सभी को आज से ही धूम्रपान छोड़ने का संकल्प लेना होगा। दुनियाभर में 251 मिलियन लोगों को धूम्रपान प्रभावित कर रहा है और हर साल 3.15 मिलियन मृत्यु का कारण बन रहा है। यह भारत में गैर-संचारी मौतों का दूसरा सबसे बड़ा कारण है। रोजमर्रा की आदतों में ये बदलाव सीओपीडी के शारीरिक लक्षणों को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। धूम्रपान छोड़ें, पौष्टिक आहार का सेवन करें, सक्रिय रहें, सुरक्षित वातावरण बनाए रखें (वायु प्रदूषण, घर के अंदर के धुएं और पैसिव स्मोकिंग से बचें, चूल्हे पर खाना पकाना बंद करें। ” मैक्स हॉस्पिटल देहरादून में पल्मोनरी विभाग में कंसल्टेंट डॉ. वैभव चाचरा ने बताया, “किशोर और युवाओं में पाइप, सिगार वॉटर पाइप, हुक्का स्मोकिंग और पॉकेट मारिजुआना पाइप के रूप में धूम्रपान की प्रवृत्ति बढ़ी है। सीओपीडी धूम्रपान न करने वालों में पैसिव स्मोकिंग और पर्यावरणीय तंबाकू के धुएं से भी विकसित हो सकता है। यह फेफड़ों में चोट, फेफड़ों का विकारयुक्त विकास, फेफड़ों प्रक्रियागत सूजन, कार्यक्षमता में कमी और ऑक्सीजन अंदर लेने की क्षमता और कार्बन डाइऑक्साइड छोड़ने की क्षमता को प्रभावित कर सकता है और साथ ही कैंसर होने तथा हार्ट अटैक आने का कारण भी बन सकता है ।” उन्होंने कहा वायु प्रदूषण फेफड़ों पर महत्वपूर्ण कुप्रभाव डालता है। बढ़ती उम्र के साथ सीओपीडी रोगी में परेशानी बढ़ रही है। दिल्ली में गंभीर एक्यूआई (एयर क्वालिटी इंडेक्स) से देहरादून में उत्पन्न होने वाली चिंताओं के बारे में बात होनी चाहिए। सीओपीडी रोगियों में उच्च आर्थिक बोझ, लंबे समय तक उपचार, ऑक्सीजन और बीआईपीएपी सपोर्ट और बार-बार अस्पताल में भर्ती करने जैसी जटिलताओं का सामना करना होता है। सीओपीडी का खर्च बचाने और स्थिर करने के लिए तंबाकू के धूम्रपान और किसी भी अन्य प्रकार के धूम्रपान और लकड़ी को जलाने से बचें। पैसिव स्मोकिंग भी खतरनाक हो सकता है। वनों की कटाई को रोकना चाहिए। इनडोर और आउटडोर प्रदूषण पर निगरानी रखते हुए पीड़ितों को दैनिक दिनचर्या में बदलाव, धूम्रपान निषेद और पल्मोनरी रिहैबिलिटेशन एंड वक्सीनशन करवाना चाहिए। मैक्स हॉस्पिटल देहरादून के वाइस प्रेसिडेंट, ऑपरेशंस और यूनिट हेड- डॉ. संदीप सिंह तंवर ने कहा, “मैक्स देहरादून राज्य में सबसे अच्छी चिकित्सा प्रौद्योगिकी लाने में सबसे आगे रहा है। इसी को जारी रखते हुए हमने इंटरवेंशनल पल्मोनोलॉजी की शुरुआत की है।
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October 31, 2024
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