देहरादून। आज पूरा विश्व कोरोना जैसी जानलेवा बीमारी से लड़ रहा है जिससे हमारा देश भी अछूता नहीं है। इसीलिए कोविड 19 महामारी को ध्यान में रखते हुए उत्तराखंड सरकार प्रदेश के युवाओं के लिए रोजगार के अधिक अवसर जुटाने पर फोकस कर रही है। कोरोना की वजह से राज्य के बाहर काम करने वाले प्रवासी अब अपने राज्य में आने लगे हैं जो राज्य में रोजगार तलाश रहे हैं। महामारी के दौरान सरकार की स्कीमों का लाभ अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाने के लिए प्रदेश के उत्तराखण्ड पर्यटन विकास परिषद द्वारा वीर चंद्र सिंह गढ़वाली पर्यटन स्वरोजगार योजना के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन की सुविधा रखी गयी है।उत्तराखण्ड में क्रियान्वित यह स्वरोजगार योजना जहाँ पर्यटन से सम्बन्धित अवस्थापना एवं परिवहन सुविधाओं के विकास में सहायक है वहीं स्थानीय लोगों को स्वरोजगार प्रदान कर स्वावलम्बी बनाने की दशा में भी उत्तराखण्ड पर्यटन विकास परिषद की एक महत्वपूर्ण उपलब्धि सिद्व हो रही है। इस योजना में बस/टैक्सी परिवहन सुविधाओं का विकास, मोटर गैराजध्वर्कशाप निर्माण, फास्टफूड सैन्टर की स्थापना, साधना कुटीरध्योग ध्यान केन्द्रों की स्थापना, 8-10 कक्षीय मोटेलनुमा आवासीय सुविधाओं की स्थापना, स्थानीय प्रतीकात्मक वस्तुओं के विक्रय केन्द्रों की स्थापना, साहसिक क्रियाकलापों हेतु उपकरणों का क्रय, टैन्टेज आवासीय सुविधाओं का विकास, क्याकिंगध्नाव का क्रय एवं संचालन, लॉन्ड्री की स्थापना, बेकरी स्थापना, स्मरणीय वस्तु युक्त संग्रहालय की स्थापना, फ्लोटिंग होटल का निर्माण, पर्यटन हेतु टेरेन बाइक्स, कैरावैनध्मोटर होम टूरिज्य, एंगलिंग उपकरणों का क्रय, स्टार गेंजिग एवं बर्डवांचिग हेतु उपकरणों का क्रय, ट्रैकिंग उपकरणों सूट, जैकेट इत्यादि को किराये पर उपलब्ध कराये जाने हेतु केन्द्रो की स्थापना, हर्बल टूरिज्म के लिए उत्तराखण्ड पर्यटन विकास परिषद द्वारा स्वरोजगार दिया जा रहा है। उत्तराखण्ड के युवाओं के लिए इस योजना के अन्तर्गत प्रदेश के मार्गों पर संचालन हेतु पच्चास बसों, इलैक्ट्रि बसों को खरीदकर अपना रोजगार शुरू करने का सुनहरा अवसर है। योजना के अंतर्गत बस खरीदने में 50 प्रतिशत तक सब्सिडी या स्वरोजगार योजना में अधिकतम 15 लाख तक सब्सिडी मिल सकेगी। इसके अतिरिक्त अन्य स्वरोजगार के लिए पर्वतीय क्षेत्रों में अधिकतम 15 लाख या 33 प्रतिशत तथा मैदानी क्षेत्रों में अधिकतम 10 लाख या 33 प्रतिशत की सब्सिडी दोनों में से जो भी कम हो दी जायेगी।
दीनदयाल उपाध्याय होम स्टे योजनाः उत्तराखण्ड में आने वाले देशी-विदेशी पर्यटकों को अभूतपूर्व अनुभव प्रदान करने के साथ ही स्थानीय लोगों की खुशहाली के लिए उत्तराखण्ड सरकार द्वारा दीनदयाल उपाध्याय होम स्टे योजना शुरू की गई है। अब राज्य के स्थानीय व प्रवासी अपने घर को पर्यटकों के विश्राम स्थल के रूम में उपयोग कर अपनी आर्थिक स्थिति को बेहतर कर सकते हैं। स्थानीय व प्रवासी लोगों को स्वरोजगार उपलब्ध कराते हुए उनकी आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाना ही सरकार का उद्देश्य है। देश-विदेश से आने वाले पर्यटकों को राज्य के व्यंजनों, संस्कृति, ऐतिहासिक धरोहरों तथा पारम्परितध्पहाड़ी शैली से परिचित कराना है। सरकार का लक्ष्य पूरे प्रदेश में 2020 तक 5000 होम स्टे विकसित करना है। स्वरोजगार की दृष्टि से होम-स्टे के रूप में प्रयोग होने वाला भवन पूर्णतः आवासीय होना चाहिए जिसमें भवन स्वामी अपने परिवार के साथ निवास करता हो तथा पर्यटकांे या अतिथियों के खाने-पीने की व्यवस्था पूर्ण रूप स्वयं भवन स्वामी करता हो। होम-स्टे में अतिथियों के लिए एक से छः कमरों के व्यवस्था होनी चाहिए। होम-स्टे खुलने के लिए विभाग में पहले उसका पंजीकरण करना होगा। होम स्टे द्वारा अर्जित धनराशि पर गृह आवास के रूप में पंजीकरण के पश्चात् पहले तीन वर्षों तक राज्य वस्तु एवं सेवा कर की धनराशि विभाग द्वारा अदायगी की जायेगी। पारम्परिक, पहाड़ी शैली में निर्मित विकसित भवनों को प्राथमिकता दी जायेगी। राजकीय सहायता के रूप में नए कक्षों के निर्माण हेतु प्रतिकक्ष 60 हजार रूपये की धनराशि सुविधा के साथ तथा पूर्व से निर्मित कक्षों के साज-सज्जा हेतु 25 हजार रूपये प्रतिकक्ष अधिकतम 6 कक्षों तक के लिए आवेदनकर्ता को आवश्यक दस्तावेजों के उपरान्त किया जायेगा।