देहरादून। सोसाइटी, फार हैल्थ, ऐजूकेषन एंड वूमैन इम्पावरमेन्ट ऐवेरनैस जाखन, देहरादून के द्वारा अन्तराष्ट्रीय बालिका दिवस के अवसर पर बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ एवं कन्या भ्रूण हत्या एक अपराधिक कृत्य पर गोष्ठी का आयोजन संजय आॅर्थोपीड़िक, स्पाइन एवं मैटरनिटी सेन्टर में किया गया। इस कार्यक्रम में 40 से अधिक छात्र-छात्राओं ने शिरकत की। डाॅ0 सुजाता संजय ने बताया कि हमारी सेवा सोसाइटी का उद्देश्य महिलाओं व बच्चियों को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करना है। इसी उद्देश्य के तहत पिछले सात साल में कई निःशुल्क स्वास्थ्य शिविरों का आयोजन किया गया है जिसमें महिलाओं को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक और निःशुल्क दवाईयाॅ वितरित की गई। इसके साथ ही सेवा सोसाइटी द्वारा जन-जागरूकता व्याख्यान व महिलाओं के स्वास्थ्य के लिए सेमिनार का आयोजन भी समय-समय पर किया जाता रहता है। सुजाता संजय ने बताया कि बालिकाएं हमारे देश के उज्ज्वल भविष्य का प्रतीक है उन्हें पढ-लिखकर अपने परिवार का ही नहीं अपितु देश का भी भविष्य सवांरना है। डाॅ0 सुजाता संजय ने चिंता जताते हुए कहा कि अगर बेटी पैदा नहीं होगी, तो बहू कहाॅ से लाएगें? और इसलिए जो हम चाहते हैं वो समाज भी तो चाहता है। हम यह तो चाहते हैं कि बहू तो हमें पढ़ी-लिखी मिले, लेकिन बेटी को पढ़ाना है तो कई बार सोचने के लिए मजबूर हो जाते है। अगर बहू पढ़ी-लिखी चाहते हैं तो बेटी को भी पढ़ाना यह हमारी जिम्मेदारी बनता है। अगर हम बेटी को नहीं पढ़ायेगें, तो बहू भी पढ़ी-लिखी नहीं मिलेगी। यह अपेक्षा करना अपने साथ बहुत बड़ा अन्याय है। हमें यह सोचना चाहिए कि विकास के पायदानों पर चढ़ने के बावजूद भी आखिर क्यों आज इस देश की बालिका भ्रूण हत्या, बाल विवाह, दहेज मृत्यु के रूप में समाज में अपने औरत होने का दंश झेल रही है? लोगों के सामने तो हम बड़ी-बड़ी बातें करते हैं कि बालिका भी देष का भविष्य है लेकिन जब हम अपने अंदर झाॅकते है ंतब महसूस होता है कि हम भी कहीं न कहीं प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से इसकी हत्या के कहीं न कहीं प्रतिभागी रहे हैं। यही कारण है कि आज देष में घरेलू हिंसा व भ्रूण हत्या संबंधी कानून बनाने की आवश्यकता महसूस हुई। अशिक्षित ही नहीं बल्कि ऊॅचे पद वाले शिक्षित परिवारों में भी गर्भ में कन्या भ्रूण का पता चलने पर गर्भपात के रूप में एक जीवित बालिका को गर्भ में ही कुचलकर उसके अस्तित्व को समाप्त किया जा रहा है। आज बेटियां हर क्षेत्र में लडकों से कहीं आगे है, आज जरूरत है बेटियों को सम्मान देने की। बेटी ही है जो माता-पिता की प्यारी होती है। एक उम्र के बाद वह पराएं घर चली जाती है। लेकिन बालिकाएं ताउम्र अपने बाबुल के घर की याद संजोए रहती है। आज बच्चियों को सम्मान देने की आवश्यकतात है, उन्हे पढ़ाई करवाई जाएं। साथ ही कन्या भ्रूण हत्या जैसे घिनौने अपराध पर लगाम लगनी चाहिए। बेटियां को हर क्षेत्र में आगे बढने से नहीं रोकना चाहिए। इनकी इच्छाओं की कद्र करनी चाहिए। सेवा सोसाइटी के सचिव डाॅ0 प्रतीक ने आये हुई अतिथियों को सम्बोधित करते हुए कहा कि महिलाएं खुद को कमजोर न समझें, आज महिलाएं प्रत्येक क्षेत्र में चाहे वह कला हो या विज्ञान या तकनीक, पुरूशों के कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं, इसलिए उन्हें सम्मान मिल रहा है। उन्होंने कहा कि यदि महिलाएं चाहें तो भ्रूण हत्या को रोक सकती है। भारत में आज से नहीं, लगभग दो दशकों पहले ही भ्रूण हत्या की शुरूआत हो गई है।
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December 3, 2024
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