हिमालीय कान्क्लेव का विरोध करने का फैसला वापस लिया

देहरादून। उत्तराखंड सूचना एवं लोक संपर्क विभाग द्वारा विज्ञापन आवंटन में पक्षपात पूर्ण नीति अपनाने के विरोध में पत्रकारों द्वारा अपने आंदोलन को जारी रखते हुए शनिवार को सूचना विभाग की सद्बुद्धि के लिए सूचना निदेशालय में बुद्धि-शुद्धि यज्ञ किया गया। साथ ही उत्तराखंड राज्य की छवि का ध्यान रखते हुए मसूरी कॉन्क्लेव के दौरान प्रदर्शन करने का निर्णय वापस ले लिया गया। पत्रकारों के धरने का आज यह तीसरा दिन था। सूचना निदेशालय में एकत्रित होकर बुद्धि शुद्धि यज्ञ आयोजित किया गया।  गौरतलब है कि सूचना विभाग लंबे समय से उत्तराखंड के पत्रकारों के साथ भेदभाव भरा व्यवहार कर रहा है तथा अपनी ही नीतियों को व्यक्तिगत लाभ के लिए तोड़ मरोड़ रहा है। उदाहरण के तौर पर सूचना विभाग की नियमावली के अनुसार हर साल नए समाचार पत्रों को सूचीबद्ध किया जाना था, लेकिन 5 वर्षों से नए अखबारों की सूची बद्धता नहीं की गई है। इसी तरह से सूचना विभाग की एक और नियमावली के अनुसार हर 6 महीने में न्यूज पोर्टलों का एंपैनलमेंट किया जाना था किंतु सूचना विभाग अपनी मनमानी चलाए रखने के लिए पिछले 2 वर्षों से एंपैनल का करने का कार्य बंद किए हुए हैं। जो पोर्टल पूर्व से सूचिबद्ध हैं उन्हें विज्ञापन जारी किया जाए। पत्रकारों में इस बात पर भी रोष था कि यूं तो सूचना विभाग आंध्र प्रदेश, केरल और पश्चिमी बंगाल सहित विदेशी पत्रिकाओं को भी लाखों, करोड़ों के विज्ञापन प्रदान कर रहा है लेकिन उत्तराखंड से प्रकाशित पत्र-पत्रिकाओं को अमर शहीद श्रीदेव सुमन के विशेष अवसर पर पिछले 18 वर्षों से दिया जा रहा विज्ञापन भी नहीं दिया गया। जबकि यह नियमावली में स्पष्ट उल्लेख है कि महापुरुषों तथा विशेष अवसरों पर दिए जाने वाले विज्ञापन किसी भी हालत पर रोके नहीं जाएंगे। गौरतलब है कि पिछले काफी लंबे समय से सूचना विभाग सरकार के इशारे पर केवल चुनिंदा पत्र-पत्रिकाओं को ही नियम कायदे के विरुद्ध विज्ञापन जारी कर दे रहा है लेकिन लघु एवं मध्यम समाचार पत्रों को नियमावली में स्पष्ट व्यवस्था के बावजूद छोड़ दिया जा रहा है।  पत्रकारों का कहना था कि यह एक कल्याणकारी सरकार से कतई अपेक्षित नहीं है तथा यह उत्तराखंडी प्रकाशनों  के साथ सीधे-सीधे सौतेला पन है।  पत्रकारों ने यह भी आवाज उठाई की संभवत यह भाजपा की एक सोची-समझी रणनीति हो सकती है कि ऐसे महापुरुषों को जो कि भाजपा की रीति नीति से मेल नहीं खाते उन्हें जानबूझकर नेपथ्य में डाल दिया जाए। आने वाले वर्षों में सरकार आर्थिक तंगी के नाम पर उत्तराखंड के महापुरुषों जैसे कि हेमवती नंदन बहुगुणा से लेकर गोविंद बल्लभ पंत सरीखी  विभूतियों को भी नजरअंदाज करने का षड़îंत्र कर सकती है। एक तरीके से यह इतिहास को अपने तरीके से संचालित करने का सोचा समझा षडयंत्र हो सकता है। गौरतलब है कि कुछ दिन पहले सूचना निदेशालय से महात्मा गांधी की तस्वीर बैठक कक्ष से हटा दी गई थी किंतु जब पत्रकारों ने इस पर एतराज जताया तो फिर वह तस्वीर दोबारा से लगा दी गई। पत्रकारों ने आज एकत्र होकर बुद्धि शुद्धि यज्ञ के माध्यम से सरकार को इस तरह की मानसिकता बदलने के प्रति चेताया है। और यह संदेश देने में सफल रहे कि यदि यह रवैया शीघ्र नहीं बदला गया तो सरकार की छवि को भी नुकसान हो सकता है। आज के बुद्धि-शुद्धि यज्ञ कार्यक्रम में शिवप्रसाद सेमवाल, घनश्याम चंद्र जोशी, वीरेंद्र दत्त गैरोला, सुरेंद्र अग्रवाल, विकास गर्ग, नरेश मिनोचा, दीपक धीमान, विनोद कोठियाल, अमित नेगी, संजीव पंत, एनके गुप्ता, नितिन खत्री, जीतमणि पैन्यूली, रचना गर्ग, अनूप ढौंडियाल समेत 3 दर्जन से अधिक पत्रकार भारी बरसात के बावजूद शामिल हुए।

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