देहरादून। यॉरदोस्त जो कि एक अग्रणी ऑनलाइन परामर्श तथा भावनात्मक स्वास्थ्य सेवा मंच है, ने उन 8,000 से ज्घ्यादा युवा प्रवासी कामगारों तथा स्वास्थ्य कर्मियों में शानदार सकारात्मक प्रभाव देखा है, जिन्होंने लॉकडाउन की अवधि के दौरान आयोजित की गई इसकी भावनात्मक परामर्श (इमोश्नल काउंसलिंग) सत्रों की श्रृंखला में हिस्सा लिया। लॉकडाउन के दौरान 1,000 युवा कामगारों, जिसमें से 50 प्रतिशत महिलायें थीं, ने अपनी घबराहट दूर करने और अपनी स्थिति व भविष्य को ज्घ्यादा असरदार ढंग से प्रबंधित करने के उद्धेश्य से ये भावनात्मक परामर्श प्राप्त किए। ये युवा कामगार इस महामारी के चलते उनकी नौकरियों तथा जिन्दगियों पर पड़े असर के कारण बेहद चुनौतीपूर्ण समय से गुजर रहे थे।
लॉकडाउन के दौरान आयोजित भावनात्मक परामर्श कार्यक्रम के विषय में यॉरदोस्त की सह-संस्थापिका तथा मुख्य कार्यकारी अधिकरी ऋचा सिंह ने कहा, श्श्युवा प्रवासी कामगारों तथा स्वास्थ्य कर्मियों को व्यापक भावनात्मक परामर्श उपलब्ध कराने के बाद हमने जीवन तथा करिअॅर के प्रति उनके रवैये में शानदार सकारात्मक सुधार देखा। अब तक हम 8,000 से ज्यादा कामगारों को परामर्श उपलब्ध करा चुके हैं, जिनमें से 1000 कामगारों ने कोविड-19 लॉकडाउन अवधि के दौरान परामर्श लिया। हमने हरेक को कम से कम 5 सत्र उपलब्ध कराए। यॉरदोस्त ने अपने भावनात्मक परामर्श सत्र मेदिनीपुर (पश्चिम बंगाल), कलिमपोंग (पश्चिम बंगाल), दिल्ली, देहरादून, कैथल, इरोड, नामक्कल, कोयम्बटूर, अमरावती, खंडवा, धार, बैरकपुर, हावड़ा, संबलपुर में उपलब्ध कराए।
एनएसडिसी द्वारा देश के विभिन्न संस्थानों में प्रशिक्षित, युवा प्रवासी व स्वास्थ्य कर्मियों को दिल्ली, मुम्बई, चेन्नई, बंगलुरु, हैदराबाद, पुणे इत्यादि जैसे प्रमुख महानगरों के विविध क्षेत्रों में रोजगार के अवसर मिल रहे हैं। हालांकि, देश में फैले कोविड-19 संक्रमण के चलते उन्हें सही विकल्प चुनने में कठिनाई महसूस हो रही है, खासतौर से बड़े शहरों में जहाँ स्थिति विशेष रूप से गंभीर है। हालांकि, 120 दिनों की अवधि के दौरान, यॉरदोस्त द्वारा उपलब्ध कराए गए नियमित भावनात्मक परामर्श सत्रों के बाद अपने करिअॅर के प्रति इनमें एक सकारात्मक रवैया विकसित हुआ और अब ये उपयुक्त निर्णय ले रहे हैं।